नीली रोशनी एक समस्या
नीली रोशनी: आपकी सेहत पर कितना भारी पड़ रहा है स्क्रीन टाइम? जब रोशनी बन जाए समस्या सुबह उठते ही फोन चेक करना, दिन भर कंप्यूटर पर काम करना और रात को सोने से पहले तक सोशल मीडिया स्क्रॉल करना - यह आज की डिजिटल दिनचर्या बन चुकी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सभी उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी (ब्लू लाइट) धीरे-धीरे आपकी सेहत को नुकसान पहुँचा रही है? नीली रोशनी का विज्ञान प्राकृतिक रूप से सूर्य के प्रकाश में मौजूद यह नीली रोशनी (400-500 नैनोमीटर तरंगदैर्ध्य) दिन के समय हमें सक्रिय रखने में मदद करती है। लेकिन आज हम कृत्रिम स्रोतों - स्मार्टफोन, टैबलेट, कंप्यूटर और एलईडी लाइट्स से इसका अत्यधिक संपर्क में आ रहे हैं, खासकर रात के समय। स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव 1. आँखों के लिए खतरा - डिजिटल आई स्ट्रेन: आँखों में जलन, सूखापन और धुंधलापन - दीर्घकालिक नुकसान: रेटिना की कोशिकाओं को क्षति का जोखिम - मायोपिया: बच्चों में निकट दृष्टि दोष का बढ़ता प्रसार 2. नींद का बिगड़ता चक्र - मेलाटोनिन हार्मोन उत्पादन में 23% तक की कमी (हार्वर्ड मेडिकल स्टडी) - नींद आने में कठिनाई और नींद की गुणवत्ता...